Sunday, 11 February 2018

लोकसभा चुनाव से पहले राहुल और योगी की परीक्षा

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लोकसभा चुनाव से पहले राहुल और योगी की परीक्षा

कहते हैं दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है ,  इसका कारण है राज्य में मौजूद सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटें | 
देश में इसी साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में आम चुनाव हो सकते हैं ऐसे में देश के सबसे बड़े राजनीतिक उठापटक का दौर तेज हो गया है | 
उत्तर प्रदेश में 11 मार्च को एक तरफ जहां गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा का उप चुनाव प्रस्तावित है तो वहीं दूसरी तरफ राज्य की दस राज्यसभा सीटों पर भी अप्रैल -मई में चुनाव होने हैं | 
वैसे तो ये  चुनाव भाजपा , कांग्रेस , सपा और बसपा सभी के लिए ही बेहद महत्वपूर्ण है लेकिन उत्तर प्रदेश के ये चुनाव अगर सबसे ज्यादा किसी के लिए अहम है तो वो हैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ | 

कांग्रेस अध्यक्ष के सामने क्या है चुनौतियां ?

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केंद्र में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए समय समय पर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के नेता एक देशव्यापी गठबंधन की वकालत करते रहे हैं |  इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले भी कांग्रेस ने बिहार की तर्ज पर यूपी में  सपा और बसपा को एक साथ लाने की कोशिश की थी जिसमे वह कामयाब नहीं हुई और तीनों ही पार्टियों को राज्य में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी | 
अपनी हार से सबक लेते हुए कांग्रेस आगामी उपचुनाव में सपा-बसपा को फिर एक साथ लाने की कोशिश में जुट गई है कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अगर सपा बसपा को कांग्रेस के साथ लाने में सफल होते हैं तो ये राहुल गांधी के नेतृत्व के लिए एक बड़ी जीत मानी जाएगी , ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि अगर यह महागठबंधन संभव हो पाया तो ना सिर्फ लोकसभा उपचुनाव में भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा हो जायेंगी बल्कि राज्यसभा में भी भाजपा को 10 में से सिर्फ 8 सीटों पर संतोष करना पड़ेगा |  


योगी के सामने भी कम नहीं हैं मुश्किलें 

योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही भाजपा के  भीतर भी योगी की कामकाज के  तौर तरीकों पर सवाल उठते रहे हैं हालांकि किसी ने भी खुले तौर पर योगी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के निर्णय का विरोध नहीं किया | गोरखपुर से 5 बार के सांसद योगी आदित्यनाथ के लिए अपनी सीट पर पार्टी जीत बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर भाजपा इन उपचुनावों में खराब प्रदर्शन करती है तो ना  सिर्फ इसका ठीकरा योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व पर फूटेगा बल्कि 2019 को चुनाव से पहले राज्य की जनता के बीच भाजपा के प्रति गलत संदेश जाने का डर भी बना रहेगा | 

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