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हमारे देश के राष्ट्रीय त्योहारों में से एक गणतंत्र दिवस वैसे तो हर भारतीय के लिए हमेशा ही खास होता है लेकिन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के बढ़ते कद के लिहाज से इस साल का गणतंत्र दिवस बेहद खास बन जाता है |
हमारे देश में गणतंत्र दिवस की परेड में शुरू से ही किसी विशेष अतिथि को बुलाने की परंपरा रही है बता दें कि 10 साल के यूपीए शासनकाल में 2007 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को छोड़कर किसी भी बड़े देश का राष्ट्राध्यक्ष इस समारोह का मेहमान नहीं बना, दरअसल किसी भी देश में इस तरह के इस तरह के समारोह उस देश की शक्ति प्रदर्शन का एक माध्यम बनते हैं |
यूपीए शासनकाल के दौरान कमजोर विदेश नीति और बड़े देशों से आयी रिश्ते में खटास के कारण किसी भी बड़े देश के राष्ट्राध्यक्ष ने इस समारोह में शामिल होने में कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई |
2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद भारत की मजबूत विदेश नीति और पीएम मोदी की विदेश यात्राओं के फलस्वरुप 2015 के गणतंत्र दिवस समारोह में विश्व के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा सम्मिलित हुए लेकिन इस साल की उत्सव में एक या दोनों देश नहीं बल्कि पूरे 10 एशियन देशों के प्रतिनिधि शिरकत करेंगे |
क्या होगा खास इस साल के समारोह में
पिछले महीने रेडियो पर पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में इस बात की पुष्टि करते हुए कहा चूंकि इस साल इंडिया आसिआन संबंधों को 25 साल पूरे हो रहे हैं अतः इस साल आसिआन देश के प्रमुखों को इस समारोह में निमंत्रित किया गया है आसिआन यानी एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस 10 दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का एक समूह है जिसके सदस्य देश हैं ब्रूनेई ,कंबोडिया, इंडोनेशिया लाओज , मलेशिया सिंगापुर , म्यांमार , फिलीपींस , थाईलैंड और वियतनाम |
वर्तमान में सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली हसीन लूंग इस समूह के चेयरमैन है |
सरकार के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस साल के समारोह में मंच 40 फीट की बजाए 95 फीट चौड़ा बनाया जाएगा | कार्यक्रम में पीएम मोदी स्वयं सभी देशों के प्रतिनिधियों की अगवानी करेंगे वही राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के बीच आसिआन समूह के चेयरमैन ली हसीन लूंग बैठेंगे |
विदेश नीति के जानकार सरकार के इस कदम को एक्ट ईस्ट पॉलिसी का हिस्सा बता रहे हैं उनके अनुसार सरकार के इस कदम से भारत की अंतरराष्ट्रीय समुदाय में पैठ बढ़ेगी|
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