Saturday, 9 December 2017

गुजरात चुनावों का सम्पूर्ण विश्लेषण ........

                  
राजनीतिक गलियारों में आजकल बड़ी चर्चा है कि इस बार की गुजरात चुनाव में बीजेपी के प्रति माहौल खराब है कुछ तथाकथित राजनीतिक पंडितों का तो यह तक कहना है कि जिस गुजरात से प्रधानमंत्री मोदी की विजय यात्रा शुरू हुई थी वहीं से भाजपा का पतन भी शुरू होगा अब सच क्या है ये या तो गुजरात की जनता जानती है या वहां के नेता तो चलिए हम भी कुछ पहलुओं पर नजर डालकर समझने की कोशिश करते हैं कि जमीनी हकीकत क्या है ?

  • सत्ता विरोधी लहर - कहते हैं लोकतंत्र एक स्विमिंग पूल तालाब की तरह होता है अगर इसका पानी नियमित अंतराल में बदला ना जाए तो तालाब प्रदूषित हो जाता है पिछले दो दशकों तक गुजरात में शासन करने वाली BJP के प्रति सत्ता विरोधी लहर का होना बेहद स्वाभाविक है लेकिन चुनाव सिर्फ सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर नहीं जीता जा सकता वोट पाने के लिए राहुल गांधी को भी गुजरात की जनता को यह समझाना होगा वो कांग्रेस को वोट क्यों दें क्योंकि अगर गुजरात में विकास पागल हो गया है तो उनके पास कौन सा विकास मॉडल है गुजरात के लिए ??

image - creative commans
                  

  • राहुल गांधी के बदले तेवर - वैसे तो ये लाइन हमें हर चुनाव से पहले सुनने की आदत सी हो गई है मगर राहुल गांधी का सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड ,बेहद आक्रामक अंदाज में भाषण और रैलियों में आ रही भीड़ ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जीत की उम्मीद को जिंदा रखा है हाँलाकि इसका एक पहलू यह भी है की भीड़ तो यूपी की रैली में में भी बहुत आती थी मगर चुनाव परिणाम आने पर कांग्रेस को अपना दल से भी कम सीटें मिली ।             


  • हार्दिक अल्पेश और जिग्नेश की तिकड़ी -पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ओबीसी नेता अल्पेश ठाकुर तथा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी तीनों ने चुनाव से पहले प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया है अपनी अपनी जाति के वोट बैंक पर अपना दावा करने वाले यह तीनों अगर मिल भी जाए तो इनका वोटबैंक परस्पर विरोधी होने के कारण एक साथ आता हुआ नजर नहीं आ रहा इसका कारण पाटीदारों को आरक्षण दिए जाने के खिलाफ ओबीसी जातियों का होना है वहीं दलित समाज कभी नहीं चाहेगा कि पाटीदार या ओबीसी जातियों के आरक्षण में वृद्धि हो यहाँ कांग्रेस की एक समस्या यह भी है कि इस तिकड़ी को साथ लाने से प्रदेश संगठन के कई नेता नाराज होकर भितरघात कर सकते हैं ।

         
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  • भाजपा के सामने चुनौतियां - देखा जाए तो गुजरात में कांग्रेस से ज्यादा चुनौतियां भाजपा के सामने हैं क्योंकि अगर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय अध्य्क्ष का गृहराज्य हारे तो पूरी ग्लोबल इमेज का छिछालेदर हो जाएगा पहले चरण के चुनाव प्रचार में मोदी ने जिस तरह मुद्दों को भावनात्मक बनाने की कोशिश की उससे साफ पता चलता है कि मुकाबला लोकसभा चुनाव जैसा एकतरफा तो बिल्कुल भी नहीं है लेकिन सच्चाई यह भी है अमित शाह का चुनाव मैनेजमेंट और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता कठिन से कठिन चुनाव को भी जीतने की काबिलियत रखती है ।

 बात अगर राजनीतिक विश्लेषकों और ओपिनियन पोल की करें तो उन्हें भाजपा कांग्रेस की सीटों में बहुत ज्यादा अंतर नजर नहीं आता मगर यह भविष्यवाणी दिल्ली ,बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक लगभग हर जगह गलत ही साबित हुई ।

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