Wednesday, 27 December 2017

राजनीति में रजनीकान्त की एंट्री से कैसे बदलेंगे सियासी समीकरण ??

image - Creative commans
साल 2017 तमिलनाडु की राजनीति के लिए काफी उतार-चढ़ाव 12 साल रहा , पिछले साल दिसंबर में पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की मृत्यु के बाद से प्रदेश में जन्मी राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति अभी भी बरकरार है तमिलनाडु में अधिकतर राजनीतिक व्यक्ति आधारित ही रही है फिर चाहे वह एम जी रामचंद्रन हो एम करुणानिधि हो या खुद जयललिता।
जयललिता की मृत्यु और एम करुणानिधि के खराब स्वास्थ्य के कारण पिछले कुछ समय से तमिलनाडु की सरकार और विपक्ष में नेतृत्व का संकट गहराता चला गया है वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में मुख्यमंत्री पलानीसामी से लेकर करुणानिधि के बेटे स्टालिन तक तमिलनाडु में कोई भी ऐसा जननेता नजर नहीं आता जो अपने दम पर वोटरों को बूथ तक ले जा सके।
तमिल फिल्मों के मेगा स्टार रजनीकांत समय समय पर राजनीति में अपने पदार्पण की अटकलों को हवा देते रहे हैं इसी हफ्ते अपने प्रशंसकों से मुलाकात के दौरान आखिरकार उन्होंने यह घोषणा कर दी कि राजनीति में एंट्री पर अपना रुख हुआ वह 31 दिसंबर को साफ करेंगे।
इस मौके पर उन्होंने यह भी कहा कि वह राजनीति में नए नहीं है और जानते हैं कि राजनीति में आने से क्या फायदे नुकसान है। आमतौर पर किसी भी बड़ी घोषणा के पहले इस तरह का सस्पेंस बहुत सोच समझकर बनाया जाता है जिससे लोगों को उस बात को जानने की दिलचस्पी बढ़ती रहे।
अब अगर रजनीकांत इन संकेतों को हम उन की स्वीकृति मान लें तो रजनीकांत की एंट्री का सीधा असर चेन्नई से दिल्ली तक की सियासत पर पड़ेगा। उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में सत्ता विरोधी लहर के कारण भाजपा के लिए 2014 जैसा करिश्मा दोहरा पाना लगभग असंभव दिखाई दे रहा है
ऐसे में उत्तर भारत के नुकसान की भरपाई करने के लिए अमित शाह दक्षिण भारत में भाजपा की राजनीतिक जमीन मजबूत करने में लग गए हैं और अगर रजनीकांत भाजपा में आए तो तमिलनाडु केरल और कर्नाटक की लगभग 90 सीटों पर अपना प्रभाव छोड़ेंगे यही कारण है कि 2014 के चुनावों से लेकर अब तक प्रधानमंत्री मोदी रजनीकांत को अपने पाले में लाने की कई नाकाम कोशिश कर चुके हैं
रजनीकांत के करीबी और पत्रकार एस गुरुमूर्ति के अनुसार चूंकि वह धार्मिक है इसलिए वह वामपंथी पार्टियों के साथ नहीं जाएंगे , या तो भाजपा के साथ जायेंगे या फिर खुद की।
यूँ तो उत्तर भारत में फिल्म स्टार का सांसद का चुनाव जीतना भी एक उपलब्धि के रूप में देखा जाता है क्योंकि फैन्स और वोटर्स में फर्क होता है लेकिन दक्षिण भारत की बात थोड़ी अलग है अलग इसलिए क्योंकि रा एम जी रामचंद्रन से लेकर एन टी आर और जयललिता समेत कई नेताओं ने अपने फैन बेस के दम पर सत्ता हासिल की है। दक्षिण में फिल्म स्टार्स के फैंस राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता की तरह पूरे समर्पण से अपने नेता का प्रचार प्रसार करते हैं लेकिन फैन बेस पर पूरी तरह निर्भर होकर चुनावी राजनीति में एआईडीएमके और डीएमके जैसी मजबूत पार्टियों को चुनौती देना भी कहीं से बुद्धिमानी नहीं होगा और चूंकि अभी तमिलनाडु में भाजपा का कोई बड़ा नेता नहीं है इसलिए भाजपा उन्हें तमिलनाडु का नेतृत्व देने में बिल्कुल भी नहीं संकोच करेगी।
ऐसे में लगता तो यही है कि आने वाले दिनों में रजनीकांत दक्षिण भारत में टीम मोदी का प्रतिनिधित्व करते हुए नजर आ सकते हैं लेकिन अगर ऐसा हुआ ऐसा करने से एक तरफ जहाँ भाजपा जैसी मजबूत पार्टी का कैडर मिल जाएगा वहीं दूसरी तरफ अमित शाह की चुनावी मैनेजमेंट की टीम।
रजनीकांत फैसला जो भी करें लेकिन अगर वह राजनीति में आते हैं तो आने वाले समय में हमें चेन्नई से लेकर दिल्ली तक नए नए राजनीतिक समीकरण देखने को मिलेंगे।

Sunday, 24 December 2017

जानिए आपके फेवरेट बॉलीवुड ऐक्टर्स के लिए कैसा रहा 2017 का साल ?

क्रिसमस के मौके पर रिलीज हुई सलमान खान की टाइगर जिंदा है साल 2017 की आखिरी बड़ी फिल्म है 2017 बॉलीवुड के लिए उतार चढ़ाव भरा साल रहा है|
एक तरफ जहां साउथ की बाहुबली 2 और आमिर खान की दंगल ने सफलता के नए रिकॉर्ड बनाए वहीं कुछ बड़ी फिल्म जैसे ट्यूबलाइट , बादशाहो, रंगून आदि ने दर्शकों को निराश किया |
तो चलिए हम भी जानते हैं कि 2017 का यह साल आपके फेवरेट बॉलीवुड एक्टर्स के लिए कैसा रहा
image -creative  commans
सलमान खान की टाइगर जिंदा है साल की सबसे बड़ी रिलीज में से एक है और इसको लेकर जबरदस्त है फिल्म की पहले दिन की कमाई करीब 34 करोड़ रुपए है और फिल्म की जबरदस्त हिट होने की उम्मीद है वहीँ सलमान की पिछली रिलीज ट्यूबलाइट बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही , यानी सल्लू भाई के लिए 2017 का साल मिला-जुला रहा
image - Creative  commans
शाहरुख खान की इस साल दो फिल्में रिलीज हुई | पहली फिल्म रईस ने ठीक-ठाक बिजनेस किया और फिल्म हिट रही तो दूसरी फिल्म जब हैरी मेट सेजल एक बड़ी फ्लॉप साबित हुयी |
एक हिट और एक फ्लॉप के साथ 2017 का साल शाहरुख खान के लिए ठीक-ठाक ही रहा
image - creative commans 
इस साल अक्षय कुमार की दो फिल्में जॉली एलएलबी 2 और टॉयलेट एक प्रेम कथा रिलीज़ हुई दोनों फिल्मों ने जबरदस्त मुनाफा कमाया और 2016 की ही तरह 2017 भी अक्षय कुमार के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुआ |
image - cretive commans 

आमिर खान की वैसे तो इस साल कोई भी फिल्म नहीं आई लेकिन सीक्रेट सुपरस्टार में आमिर सपोर्टिंग भूमिका में थे और उनके वो इस फिल्म के प्रोडूसर भी थे सीक्रेट सुपरस्टार साल की छोटी फिल्मों में सबसे बड़ी हिट थी
image - creative commans 
सैफ अली खान के लिए यह साल बेहद खराब रहा , सैफ की दो फिल्में रंगून और शेफ दोनों ही बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई |
image - creative  commans 
रितिक रोशन की फिल्म काबिल इस साल के शुरू में रिलीज हुई जो कि एक हिट फिल्म थी औरफिल्म में लोगों ने ऋतिक के काम की भी काफी तारीफ की |
image - creative commans
2017 में अजय देवगन की दो फिल्में रिलीज हुई गोलमाल अगेन और बादशाहो | गोलमाल अगेन अभी तक साल 2017 की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई वहीँ बादशाहो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुयी |
अजय देवगन के लिए ये साल कभी खुशी कभी गम जैसा रहा |
image-creative commans
अक्षय कुमार की ही तरह वरुण धवन के लिए भी 2017 बेहद सफल रहा इस साल वरुण की दो फिल्में बद्रीनाथ की दुल्हनिया और जुड़वा 2 जबरदस्त हिट रही और दोनों ही फिल्मों ने 100 करोड़ से ज्यादा का कारोबार किया
image-creative commans
रणबीर कपूर के लिए ये साल बहुत खराब साबित हुआ , रणबीर की एकमात्र फिल्म जग्गा जासूस साल 2017 की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्मों में से एक रही
image-creative commans
रणवीर सिंह की एक फिल्म पद्मावती रिलीज होनी थी जो विवादों की वजह से फिलहाल टल गई है
image-creative commans

सिद्धार्थ मल्होत्रा की दो फिल्में इत्तेफाक और जेंटलमैन रिलीज हुई इत्तेफाक ने तो ठीक-ठाक बिजनेस किया मगर जेंटलमैन बुरी तरह फ्लॉप हुई
image-creative commans
शाहिद कपूर की एक फिल्म रंगून बुरी तरह फ्लॉप हुई और फिल्म पद्मावती फिलहाल टल गई है
image-creative commans
अर्जुन कपूर की फिल्म मुबारका जहाँ हिट साबित हुई वही हाफ गर्लफ्रेंड ने ठीक-ठाक बिजनेस किया
image- creative commans

नवाजुद्दीन सिद्दीकी की इस साल करीब आधा दर्जन फिल्में रिलीज हुई जिनमें से रईस और मॉम जैसी फिल्में हिट रहीं वही बंदूकबाज बाबूमोशाय, मुन्ना माइकल और हरामखोर फिल्में फ्लॉप रही
image- creative commans
राजकुमार राव की इस साल 5 फिल्में आयी जिनमें बरेली की बर्फी और न्यूटन हिट रहीं वहीं बहन होगी तेरी और शादी में जरूर आना कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई और फ्लॉप साबित हुई
image-creative commans
इरफान खान एक ही जैसी दो फिल्में हिन्दी मीडियम और करीब करीब सिंगल आयी। हिंदी मीडियम साल की सबसे बड़ी हिट मगर करीब करीब सिंगल कुछ खास नहीं कर पाई और फ्लॉप हो गई
image-creative commans
आयुष्मान खुराना की इस साल तीन फिल्में आई जिनमें से बरेली की बर्फी हिट साबित हुई वही मेरी प्यारी बिंदु और शुभ मंगल सावधान फ्लॉप हो गई
image-creative commans

टाइगर श्रॉफ की एकमात्र फिल्म मुन्ना माइकल बॉक्स ऑफिस पर कुछ कमाल नहीं दिखा पाई और फ्लॉप हो गई

Friday, 22 December 2017

जानिए 2G घोटाले पर अदालत के फैसले की पूरी सच्चाई ???

Image - Creative  commans 
9 साल पहले कथित 2जी घोटाला आजाद भारत के इतिहास में हुआ देश देश में हुआ सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला था इस घोटाले ने देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को बीते कुछ सालों में धीरे-धीरे सत्ता से दूर करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |

नरेन्द्र मोदी ने 2014 के आम चुनावों में इस घोटाले को खूब भुनाया |
बृहस्पतिवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने 9 साल पुराने इस मामले में फैसला सुनाते हुए एक झटके में सभी आरोपियों जिनमें पूर्व संचार मंत्री ए राजा तथा डीएमके नेता करुणानिधि की बेटी कनिमोझी भी शामिल है , को बरी कर दिया |
विशेष सीबीआई जज ओपी सैनी इसके साथ ही सीबीआई के रुख - रवैये पर कई सवाल खड़े किये |
फैसला आने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत तमाम कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कभी कोई घोटाला हुआ ही नहीं , यह सिर्फ यूपीए] सरकार को बदनाम करने की एक साजिश थी एवं पूर्व सीएजी विनोद राय तथा प्रधानमंत्री मोदी को देश से माफी मांगनी चाहिए |
लेकिन क्या सच में कोई घोटाला नहीं हुआ , क्या वह जो भूकंप जैसा आया था वह गलत था ,क्या सीएजी गलत था, क्या मीडिया में महीनों तक चला कवरेज गलत था , क्या इसी मुद्दे पर संसद में हुआ हंगामा गलत था और क्या इसी मुद्दे से प्रभावित जनमत गलत था और अगर यह सब गलत था तो सही क्या था ?
देश के सबसे बड़े घोटाले के तौर पर सामने आये 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला इसलिए हैरान करने वाला है क्योंकि यह एक तरह से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत जाता हुआ दिख रहा है
सुप्रीम कोर्ट ने आवंटन में अनियमितताओं की पड़ताल के दौरान यह पाया की आवंटन न सिर्फ मनमाने और गैर कानूनी रूप से हुआ है बल्कि इसके लिए अंतिम तिथि और प्रक्रिया में भी हेर फेर किया गया |
सुप्रीम कोर्ट ने इसी कारण तत्कालीन संचार मंत्री ए राजा द्वारा आवंटित 122 सर्कलों के न सिर्फ लाइसेंस रद्द किए बल्कि कई कंपनियों पर 5 करोड़ तक का जुर्माना भी लगाया
इतने सब तथ्य सामने होने के बाद भी कांग्रेस नेताओं का यह तर्क कि घोटाला कभी हुआ ही नहीं बेहद बचकाना मालूम पड़ता है |
सवालों के घेरे में सीबीआई की भूमिका इस पूरे केस ने आरुषि हत्याकांड के बाद एक बार फिर सीबीआई की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है विशेष सीबीआई जज ओपी सैनी के फैसले में यह क्षोभ बार बार दिख रहा है कि सीबीआई बचती और छिपती क्यों रही ,जब की कोई भी जांच एजेंसी आरोपी को सजा दिलाने में एड़ी चोटी का जोर लगा देती है |
इस केस में सीबीआई की ओर से लापरवाही का आलम यह था की अदालत में उसकी ओर से बिना हस्ताक्षर वाले हलफनामे दाखिल किए जाते रहे और जज के कहने के बावजूद कोई हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं था जाहिर है ऐसे दस्तावेज का कोई कानूनी मतलब नहीं होगा , हालांकि ओपी सैनी ने भी अपने फैसले में माना है कि शुरू में सीबीआई ने उत्साह के साथ मामले को उठाया और आरोपियों के खिलाफ जोरदार पैरवी की और इसी कारण अदालत ने आरोपियों को जमानत देने से इनकार करते हुए जेल भी भेज दिया |
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में 2जी घोटाले की तह तक जाने और सीबीआई द्वारा जुटाए गए सबूतों के आधार पर ही शीर्ष अदालत द्वारा सभी 122 सर्किल के लाइसेंस रद्द होने के बावजूद सभी आरोपियों के बेदाग रिहा होने से किसी बड़ी साजिश की आशंका को बल मिलता है
फैसले में ओपी सैनी ने हैरानी जताई कि बहस के दौरान ना तो सीबीआई की जांच अधिकारी ना ही कोई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद होता था इतने बड़े घोटाले की पैरवी के लिए सीबीआई की ओर से महज इंस्पेक्टर मनोज कुमार को लगाया जाता है वही मामले में जांच अधिकारी रहे एसपी विवेक प्रियदर्शी को दिल्ली से दूर भोपाल में व्यापम घोटाले की जांच में लगा दिया गया |
सीबीआई के इस रवैया के बाद उस पर सवाल खड़े होना तो लाजमी है मगर जवाब यहां मोदी सरकार को भी देना होगा क्योंकि 2014 के चुनाव चुनाव में जिस भ्रष्टाचार पर उन्हें कांग्रेस को घेरा था 2019 में वह कांग्रेस के लिए बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है |



Thursday, 14 December 2017

जानिये कौन हैं एशिया की दस सबसे सेक्सी अभिनेत्रियाँ ???

पिछले दिनों लंदन स्थित एक साप्ताहिक न्यूज पेपर ईस्टर्न आई ने ऑनलाइन सर्वे के आधार पर एशिया की 10 सबसे सेक्सी महिलाओं की एक लिस्ट जारी की है
तो चलिए जानते हैं आपके कौन से फेवरेट स्टार्स किस पायदान पर है |


Image Source
नंबर 10 - इंडियन टेलीविजन की चहेती छोटी बहू यानी रुबीना दिलाइक इस लिस्ट में दसवें नंबर पर हैं
30 वर्षीय रुबीना फिटनेस एक्सपर्ट भी हैं |



Image Source
नंबर 9 - फेमस मॉडल और अभिनेत्री गौहर खान इस लिस्ट में नौवें नंबर परहैं
गौहर बिग बॉस-7 और झलक दिखला जा की विनर ही रह चुकी है |


Source


नंबर 8 - बॉलीवुड की इस नयी आशिकी गर्ल को इस लिस्ट में मिला है 8 वां स्थान वैसे ओके जानू और हसीना पारकर जैसी फ्लॉप फिल्मों के बीच उनके फैंस के लिए एक अच्छी खबर जरूर है |

Source

नंबर 7- बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत और पॉपुलर अभिनेत्रियों में शुमार कैटरीना कैफ को इस लिस्ट में 7 वें स्थान मिला है |
उम्मीद करते हैं कि कैटरीना कैफ की फ्लॉप फिल्मों का जो सिलसिला फैंटम से जग्गा जासूस तक चला वह टाइगर जिंदा है के साथ खत्म हो जाएगा |

Source

नंबर 6 - दृष्टि धामी टेलीविजन एक्ट्रेस और मॉडल को ईस्टर्न आई की सेक्सीएस्ट एशियन वुमन की लिस्ट में छठवां स्थान मिला है |
गीत हुई सबसे पराई और मधुबाला जैसे हिट सीरियल्स में काम करने वाले इस एक्ट्रेस ने डांस रियलिटी शो झलक दिखला जा भी जीता है |
Source

नंबर 5 - शाहरुख खान के साथ फिल्म रईस में नजर आने वाली पाकिस्तानी एक्ट्रेस और VJ माहिरा खान इस लिस्ट में पांचवें नंबर पर है |

Source
नंबर 4 - बॉलीवुड की बार्बी डॉल और करण जौहर की स्टूडेंट आलिया भट्ट इस लिस्ट में चौथे नंबर पर है |


Source



नंबर 3 - बॉलीवुड की सबसे महंगी अभिनेत्री और ग्लोबल स्टार दीपिका पादुकोण बनी हैं एशिया की तीसरी सबसे सेक्सी महिला |
दीपिका पादुकोण आजकल अपनी फिल्म पद्मावती को लेकर भी काफी चर्चा में है|


Source


नंबर 2 - फेमस टेलीविजन एक्ट्रेस निया शर्मा इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है
निया शर्मा ने इस लिस्ट में दूसरी बार जगह बनाई है |
               
   
           
                                                    Source                                            

                                 
नंबर 1 - प्रियंका चोपड़ा हॉलीवुड प्रियंका चोपड़ा जो आजकल अपनी हॉलीवुड प्रोजेक्ट्स में बिजी हूं और पूरे दुनिया में अपने स्टारडम का जलवा बिखेर रही हैं |
उन्हें इस ईस्टर्न आई के सेक्सीएस्ट एशियन वुमन की लिस्ट में पहला स्थान मिला है |

All image used - Creative Commans


Saturday, 9 December 2017

गुजरात चुनावों का सम्पूर्ण विश्लेषण ........

                  
राजनीतिक गलियारों में आजकल बड़ी चर्चा है कि इस बार की गुजरात चुनाव में बीजेपी के प्रति माहौल खराब है कुछ तथाकथित राजनीतिक पंडितों का तो यह तक कहना है कि जिस गुजरात से प्रधानमंत्री मोदी की विजय यात्रा शुरू हुई थी वहीं से भाजपा का पतन भी शुरू होगा अब सच क्या है ये या तो गुजरात की जनता जानती है या वहां के नेता तो चलिए हम भी कुछ पहलुओं पर नजर डालकर समझने की कोशिश करते हैं कि जमीनी हकीकत क्या है ?

  • सत्ता विरोधी लहर - कहते हैं लोकतंत्र एक स्विमिंग पूल तालाब की तरह होता है अगर इसका पानी नियमित अंतराल में बदला ना जाए तो तालाब प्रदूषित हो जाता है पिछले दो दशकों तक गुजरात में शासन करने वाली BJP के प्रति सत्ता विरोधी लहर का होना बेहद स्वाभाविक है लेकिन चुनाव सिर्फ सत्ता विरोधी लहर पर सवार होकर नहीं जीता जा सकता वोट पाने के लिए राहुल गांधी को भी गुजरात की जनता को यह समझाना होगा वो कांग्रेस को वोट क्यों दें क्योंकि अगर गुजरात में विकास पागल हो गया है तो उनके पास कौन सा विकास मॉडल है गुजरात के लिए ??

image - creative commans
                  

  • राहुल गांधी के बदले तेवर - वैसे तो ये लाइन हमें हर चुनाव से पहले सुनने की आदत सी हो गई है मगर राहुल गांधी का सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड ,बेहद आक्रामक अंदाज में भाषण और रैलियों में आ रही भीड़ ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जीत की उम्मीद को जिंदा रखा है हाँलाकि इसका एक पहलू यह भी है की भीड़ तो यूपी की रैली में में भी बहुत आती थी मगर चुनाव परिणाम आने पर कांग्रेस को अपना दल से भी कम सीटें मिली ।             


  • हार्दिक अल्पेश और जिग्नेश की तिकड़ी -पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ओबीसी नेता अल्पेश ठाकुर तथा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी तीनों ने चुनाव से पहले प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया है अपनी अपनी जाति के वोट बैंक पर अपना दावा करने वाले यह तीनों अगर मिल भी जाए तो इनका वोटबैंक परस्पर विरोधी होने के कारण एक साथ आता हुआ नजर नहीं आ रहा इसका कारण पाटीदारों को आरक्षण दिए जाने के खिलाफ ओबीसी जातियों का होना है वहीं दलित समाज कभी नहीं चाहेगा कि पाटीदार या ओबीसी जातियों के आरक्षण में वृद्धि हो यहाँ कांग्रेस की एक समस्या यह भी है कि इस तिकड़ी को साथ लाने से प्रदेश संगठन के कई नेता नाराज होकर भितरघात कर सकते हैं ।

         
image - creative commans

  • भाजपा के सामने चुनौतियां - देखा जाए तो गुजरात में कांग्रेस से ज्यादा चुनौतियां भाजपा के सामने हैं क्योंकि अगर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय अध्य्क्ष का गृहराज्य हारे तो पूरी ग्लोबल इमेज का छिछालेदर हो जाएगा पहले चरण के चुनाव प्रचार में मोदी ने जिस तरह मुद्दों को भावनात्मक बनाने की कोशिश की उससे साफ पता चलता है कि मुकाबला लोकसभा चुनाव जैसा एकतरफा तो बिल्कुल भी नहीं है लेकिन सच्चाई यह भी है अमित शाह का चुनाव मैनेजमेंट और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता कठिन से कठिन चुनाव को भी जीतने की काबिलियत रखती है ।

 बात अगर राजनीतिक विश्लेषकों और ओपिनियन पोल की करें तो उन्हें भाजपा कांग्रेस की सीटों में बहुत ज्यादा अंतर नजर नहीं आता मगर यह भविष्यवाणी दिल्ली ,बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक लगभग हर जगह गलत ही साबित हुई ।

Tuesday, 10 October 2017

जानिए सच ? दिल्ली में पटाखा बैन या हिन्दू संस्कृति पर एक और प्रहार

सोमवार को देश के सुप्रीम कोर्ट ने जब दिल्ली में 1 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया तो देश के बड़े वर्ग खासतौर से दक्षिणपंथी वर्ग आक्रोश से भर गया है सुप्रीम कोर्ट ने इसके पीछे दिल्ली में वायु प्रदूषण के खतरे को तर्क दिया है अब सवाल यह है कि अगर वायु प्रदूषण ही प्रतिबंध का पैमाना है तो वह 1 नवंबर तक ही क्यों साल के 365 दिन क्यों नहीं और क्या क्रिसमस और शादी के मौके पर फोड़े गए पटाखे ऑक्सीजन रिलीज करते हैं यहां पर लोगों का यह तर्क कि जल्लीकट्टू में बैल के साथ कुश्ती हो या दही हांडी की ऊंचाई तय करना हो हर बार सुप्रीम कोर्ट को हिंदू संस्कृति में हस्तक्षेप करना ही क्यों पसंद आता है बकरी ईद पर बलि भी तो जानवरों के साथ निर्ममता का ही एक जीवंत उदाहरण है मशहूर लेखक चेतन भगत के अनुसार दिवाली का प्रदूषण पूरे साल का सिर्फ 0.27 प्रतिशत होता है फिर भी न्यायपालिका को हिंदू संस्कृति के साथ चयनात्मक तरीके से निशाने पर लेना कई सवाल खड़े कर देता है सोशल मीडिया पर लोग इस बात को लेकर भी गुस्से में हैं कि देश के तथाकथित लिबरल और बुद्धिजीवी समाज होली पर पानी बचाने और दिवाली पर ग्रीन दिवाली से लेकर करवा चौथ को रुढ़ीवादी और जल्लीकट्टू को जानवरों पर निर्दयता बताने के लिए मुंह खुले बैठे रहते हैं मगर यही लोग रमजान के रोजे को पवित्र मुहर्रम को रिवाज और यहां तक कि बकरीद पर दी जाने वाली बली को भी जायज ठहराने से नहीं चूकते

तथाकथित सेकुलरों के पाखंड का ही एक उदाहरण यह भी है कि उन्हें उत्तर प्रदेश के अवैध बूचड़खाने बंद होने पर बेरोजगार हुए लोग तो दिख जाते हैं मगर पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करने के बाद लाइसेंस से पटाखा व्यापार चला रहे लोगों के धंधे और वहां काम कर रहे मजदूरों की रोजी रोटी के सवाल पर वह हमेशा की तरह अपनी आंखें मूंद लेते हैं ।

शायद अब समय आ गया कि सरकार तथा न्यायपालिका आत्ममंथन करें क्योंकि इस तरह हर बार एक खास विचारधारा पर आघात लोगों के आक्रोश को सोशल मीडिया से सड़क पर ले आया तो उसके परिणाम भयावह हो सकते हैं ।

Friday, 8 September 2017

जानिए कौन हैं गौरी लंकेश जिनकी मौत पर कर्नाटक से लेकर दिल्ली तक मचा है बवाल...


गौरी लंकेश एक पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता थी  उनका जन्म 19 जनवरी को कर्नाटक में लिंगायत समुदाय में हुआ था गौरी साप्ताहिक पत्रिका लंकेश पत्रिका की  संपादक थी उन्होंने कुछ समय तक टाइम्स ऑफ इंडिया और संडे मैगजीन को भी अपनी सेवाएं दी थी 
गौरी लंकेश को हिंदुत्वादी एवं संघ की विचारधारा का कट्टर विरोधी माना जाता था पिछले दिनों अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले में उनके बयान की , " शिव से मिलने गए थे और शिव मे ही मिल गए " ने काफी विवाद पैदा किया था
गौरी लंकेश ने  कर्नाटक सरकार के मंत्री डी के शिवकुमार के भ्रष्टाचार पर कई खुलासे की उन्होंने भाजपा सांसद प्रहलाद जोशी के ऊपर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जिन्हें नही साबित कर पाने के कारण कोर्ट ने उन पर ₹5000 का जुर्माना लगाया था
गौरी लंकेश का निजी जीवन मैं बेहद खालीपन था उनके पूर्व पति चिदानंद राजघाट जो कि वाशिंगटन पोस्ट में संपादक के रूप में कार्यरत हैं से गौरी का तलाक हो चुका था जिसके बाद वह अकेली थी उन्होंने जिग्नेश मेवानी उमर खालिद और कन्हैया कुमार को अपने बेटे जैसा बताया था 5 सितंबर की रात अज्ञात हमलावरों की गौरी लंकेश की गोली मारकर हत्या कर दी जिसके बाद बेंगलुरु में उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई कांग्रेस एवं वामपंथी संगठनो ने इसे भाजपा व संघ की साजिश बताया वहीं भाजपा ने इसके के लिए कर्नाटक सरकार की फेल कानून व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया 

Thursday, 13 July 2017

लालू - नीतीश के इस टकराव से कैसे होगा मोदी को दोहरा फायदा ?

बिहार और देश की सियासत इन दिनों लालू परिवार और नीतीश कुमार के इर्द गिर्द घूम रही है । दरअसल पिछले कुछ दिनों मे सुशील मोदी के गंभीर आरोप और CBI की जाँच मे फंसे लालू परिवार के पास एक ही सहारा बचा था और वो था विपक्षी पार्टियों के समर्थन का जिससे लालूजनता के बीच ये साबित करने की कोशिश करते की मोदी सरकार उनके ख़िलाफ़ बदले की भावना से ये करवाई कर रही है ।
लेकिन जनता मे अपनी छवि को लेकर बेहद सजग् रहने वाले नितीश कुमार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी ज़ीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाते हुए तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग कर डाली ।
इस सब घटनाक्रम के बाद बिहार की राजनीति ऐसे मुकाम पे आकर खड़ी हो गयी है जहाँ से भाजपा के लिए चित और पट् दोनो ही मेरा वाली स्थिति बनती हुई नजर आ रही है
दरअसल नीतीश के सामने इस समय दो विकल्प हैं पहला तो ये कि वो महागठबन्धन तोड़कर बीजेपी के साथ आ जाएं
ऐसा होने की स्थिति मे 2019 मे बिहार मे मोदी की राह बेहद आसान हो जायेगी क्योंकि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे लालू और नेतृत्वविहीन नजर आ रही काँग्रेस के लिए मोदी नीतीश की जोड़ी को हराना लगभग असम्भव हो जायेगा और तो और अगर नीतीश जाते हैं तो विपक्ष के पास कोई ऐसा विश्वसनीय चेहरा नही रहेगा जिसके नाम पर वो वोट मांग सके ।
दूसरी स्थिति मे नीतीश कुमार RJD के साथ सरकार चलाते रहें मगर अगर वो ऐसा करते हैं तो जनता को ये जवाब देना
मुश्किल हो जायेगा कि वो अपने निजी अहंकार और महत्वाकांक्षा के चलते एक भ्रष्टाचारी का साथ दे रहें हैं और ऐसे मे भी बिहार मे मोदी की राह आसान होती हुई दिख रही है