बिहार और देश की सियासत इन दिनों लालू परिवार और नीतीश कुमार के इर्द गिर्द घूम रही है । दरअसल पिछले कुछ दिनों मे सुशील मोदी के गंभीर आरोप और CBI की जाँच मे फंसे लालू परिवार के पास एक ही सहारा बचा था और वो था विपक्षी पार्टियों के समर्थन का जिससे लालूजनता के बीच ये साबित करने की कोशिश करते की मोदी सरकार उनके ख़िलाफ़ बदले की भावना से ये करवाई कर रही है ।
लेकिन जनता मे अपनी छवि को लेकर बेहद सजग् रहने वाले नितीश कुमार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी ज़ीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाते हुए तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग कर डाली ।
इस सब घटनाक्रम के बाद बिहार की राजनीति ऐसे मुकाम पे आकर खड़ी हो गयी है जहाँ से भाजपा के लिए चित और पट् दोनो ही मेरा वाली स्थिति बनती हुई नजर आ रही है
दरअसल नीतीश के सामने इस समय दो विकल्प हैं पहला तो ये कि वो महागठबन्धन तोड़कर बीजेपी के साथ आ जाएं
ऐसा होने की स्थिति मे 2019 मे बिहार मे मोदी की राह बेहद आसान हो जायेगी क्योंकि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे लालू और नेतृत्वविहीन नजर आ रही काँग्रेस के लिए मोदी नीतीश की जोड़ी को हराना लगभग असम्भव हो जायेगा और तो और अगर नीतीश जाते हैं तो विपक्ष के पास कोई ऐसा विश्वसनीय चेहरा नही रहेगा जिसके नाम पर वो वोट मांग सके ।
दूसरी स्थिति मे नीतीश कुमार RJD के साथ सरकार चलाते रहें मगर अगर वो ऐसा करते हैं तो जनता को ये जवाब देना
मुश्किल हो जायेगा कि वो अपने निजी अहंकार और महत्वाकांक्षा के चलते एक भ्रष्टाचारी का साथ दे रहें हैं और ऐसे मे भी बिहार मे मोदी की राह आसान होती हुई दिख रही है
लेकिन जनता मे अपनी छवि को लेकर बेहद सजग् रहने वाले नितीश कुमार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी ज़ीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाते हुए तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग कर डाली ।
इस सब घटनाक्रम के बाद बिहार की राजनीति ऐसे मुकाम पे आकर खड़ी हो गयी है जहाँ से भाजपा के लिए चित और पट् दोनो ही मेरा वाली स्थिति बनती हुई नजर आ रही है
दरअसल नीतीश के सामने इस समय दो विकल्प हैं पहला तो ये कि वो महागठबन्धन तोड़कर बीजेपी के साथ आ जाएं
ऐसा होने की स्थिति मे 2019 मे बिहार मे मोदी की राह बेहद आसान हो जायेगी क्योंकि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे लालू और नेतृत्वविहीन नजर आ रही काँग्रेस के लिए मोदी नीतीश की जोड़ी को हराना लगभग असम्भव हो जायेगा और तो और अगर नीतीश जाते हैं तो विपक्ष के पास कोई ऐसा विश्वसनीय चेहरा नही रहेगा जिसके नाम पर वो वोट मांग सके ।
दूसरी स्थिति मे नीतीश कुमार RJD के साथ सरकार चलाते रहें मगर अगर वो ऐसा करते हैं तो जनता को ये जवाब देना
मुश्किल हो जायेगा कि वो अपने निजी अहंकार और महत्वाकांक्षा के चलते एक भ्रष्टाचारी का साथ दे रहें हैं और ऐसे मे भी बिहार मे मोदी की राह आसान होती हुई दिख रही है